LOVE MARRIAGE AND ASTROLOGY प्रेम विवाह और ज्योतिष
पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव के कारण आज हमारे देश में भी प्रेम विवाह करने वालो की संख्या बढती जा रही हैं |आज युवावस्था में प्रवेश करते ही अभिभावकों का चिंतित होना वाजिब हैं क्योकि यह इश्क का रोग कब उनके लाडले या लाडली को सपेट में ले उन्हें पता ही नहीं चलता जब बात बढ़ जाती हैं तभी उन्हें पता चलता हैं पर उस समय वे क्या कर सकते हैं सिवाय परेशान होने के , तो कई बार युवक युवती चाहकर भी प्रेम विवाह नहीं कर पाते आखिर ऐसा क्यों होता हैं इसके बारे में ज्योतिष शास्त्र द्वारा कुछ जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करते हैं
आज विश्व में चारो और योग की चर्चा हो रही हैं इसके संपर्क में आने वाला प्रत्येक व्यक्ति इसे अपनाता हैं ताकि जीवन में उसे आत्म संतुष्टि मिल सके इसी योग का ही एक स्वरूप प्रेम हैं| भगवद प्राप्ति के लिए भी प्रेम आवश्यक हैं,
इस बारे में कहा गया हैं -
मिलही न रघुपति बिन अनुरागा |
किये जोग तप ज्ञान विरागा ||
अर्थात योग ,तप ज्ञान और वैराग्य में भी यदि प्रेम का पुट नहीं हो तो भगवद प्राप्ति नहीं होती प्रेम का जब प्रथम बार जब हृदय में प्रवेश होता हैं तो प्रत्येक जीव आहत हो जाता हैं अपने प्रेमी के दर्शन नहीं होने पर वह व्याकुल हो जाता हैं| आइये ज्योतिष के अनुसार प्रेम और प्रेम विवाह के बारे में जानकारी प्राप्त करे -
किसी जातक की कुंडली में पंचम भाव को प्रेम का भाव माना जाता हैं| सप्तम भाव विवाह का भाव हैं पुरुष जातक के लिए शुक्र विवाह का कारक ग्रह हैं तो स्त्री जातक के लिए गुरु विवाह का कारक ग्रह हैं शुक्र को प्रेम का कारक ग्रह भी माना जाता हैं |इस प्रकार पंचमेश और शुक्र प्रेम के कारक ग्रह होते हैं जब ये दोनों ग्रह कमजोर होते हैं तो जातक में विलासिता की भावना बढ़ जाती हैं इस पर यदि रहू और शुक्र का प्रभाव भी आ जाये तो ऐसा जातक प्रेम करने के लिए परेशान हो जाता हैं |उसका अपने मन पर कोई नियंत्रण नहीं होता यदि ये दोनों ग्रह चर राशी में भी हो तो जातक अपने और अपनी परिवार की इज्जत के बारे में भी नहीं सोचता ऐसा जातक शिथिल चरित्र का होता हैं यदि पंचमेश और शुक्र पर सूर्य और गुरु का शुभ प्रभाव हो तो जातक में प्यार की इच्छा रहती हैं पर उस पर सही निर्णय भी लेने की क्षमता रखता हैं |
कब होता हैं प्रेम विवाह ............
१..पंचमेश और सप्तमेश का युति दृष्टि सम्बन्ध हो
२.सप्तमेश और एकादशेश का सम्बन्ध हो
३..सप्तमेश और पंचमेश पर राहू का प्रभाव हो
४ नवमेश और विवाह कारक का सम्बन्ध हो
५.मंगल और शुक्र पर सप्तमेश का प्रभाव हो
६.तीसरे भावेश और सप्तमेश का शुक्र पर प्रभाव हो
७.लग्नेश बलि होकर सप्तमेश और पंचमेश से सम्बन्ध बनाये
८..योगकारक ग्रहों की दशा अंतर दशा हो
९.लाभेश और विवाह कारक युति कर स्थित हो तो ऐसी स्थितियों में जातक का प्रेम विवाह हो जाता हैं यदि आपके गुण भी २० से अधिक मिल रहे हैं तो शादी की सम्भावना बढ़ जाती हैं | यदि जो ग्रह प्रेम विवाह में समस्या दे रहे उनका उपाय और कुछ वशीकरण मंत्रो का जप भी कर लिया जाये तो प्रेम विवाह में सहायक होता हैं यदि आप भी किसी को दिलोजान से चाहते हैं तो फिर किसी ज्योतिषी का परामर्श आपको खुशिया दे सकता हैं |
No comments:
Post a Comment