DASHRATH SHANI STUTI STOTR दशरथ शनि स्तुति स्तोत्र
दक्षिणा 1100 /- ज्योतिष तंत्र मंत्र यंत्र टोटका वास्तु कुंडली हस्त रेखा राशि रत्न,भूत प्रेत जिन जिन्नात बुरे गंदे सपने का आना, कोर्ट केस, लव मैरिज, डाइवोर्स, वशीकरण पितृ दोष कालसर्प दोष चंडाल दोष गृह क्लेश बिजनस विदेश यात्रा, अप्सरा परी साधना, अघोर साधनायें , समशान तांत्रिक साधनायें, सास बहु, सास ससुर, पति पत्नी, जेठ जेठानी, देवर देवरानी, नन्द नन्दोई, साला साली, सभी झगड़े विवाद का हल व वशीकरण कार्य किया जाता है
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(शनि देव का ये उपाए आप को देगा शनि पीड़ा से राहत)
महाराजा दशरथ ने धनुष बाण रख कर हाथ जोड़कर शनिदेव की स्तुति करी थी पद्म पुराण में शनि के दोष और शनि पीड़ा से मुक्ति पाने का है ये उपाए-
नमः कृष्णाय नीलाय शीतिकण्ठनिभाय च |
नमः कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नमः ||
नमो निर्मांसदेहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च |
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदरभायकृते ||
नमः पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णे च वै पुनः |
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोस्तु ते ||
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नमः |
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय करलिने ||
नमस्ते सर्व भक्षाय बलीमुख नमोस्तु ते |
सूर्यपुत्र नमस्तेस्तु भास्करेभयदाय च ||
अधोदृष्टे नमस्तेस्तु संवर्तक नमोस्तु ते |
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोस्तु ते ||
तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च |
नमो नित्यं क्षुधातार्याय अतृप्ताय च वै नमः ||
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेस्तु कश्यपात्मजसूनवे |
तुष्टो ददासि वै राज्यम रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ||
देवासुरमनुष्याश्च सिद्धविद्याधरोरगा: |
त्वया विलोकिताः सर्वे नाशं यान्ति समूलतः ||
प्रसादम कुरु में देव वराहोरहमुपागतः ||
शनिदेव ने कहा है की मनुष्य अपने कर्मों के अनुसार ग्रहों के द्वारा सुख व कष्ट भुगतता है। व्यक्ति की जन्म पत्रिका की दशा, अन्तर्दशा व गोचर के अनुसार ही मैं उन्हें कष्ट प्रदान करता हूं।
परन्तु यदि कोई मनुष्य श्रद्धा व एकाग्रता से महाराजा दशरथ द्वारा रचित उक्त स्तोत्र का पाठ व जाप करे तथा मेरी लोहे की प्रतिमा पर शमी के पत्तो से पूजा करे साथ ही साथ काले तिल, उड़द, काली गाय का दान करे तो दशा, अन्तर्दशा व गोचर द्वारा उत्पन्न पीड़ा का नाश होगा और मैं उसकी रक्षा करूंगा |
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