Tuesday, February 28, 2017

बेलपत्र से जुड़े नियम व मन्त्र BAEL PATR MANTRA AND RULES

बेलपत्र से जुड़े नियम व मन्त्र BAEL PATR MANTRA AND RULES

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सावन का महीना आते ही श्रद्धालु महादेव शंकर को प्रसन्न करने की कोशिश में जुट जाते हैं. शिवलिंग पर गंगाजल के साथ-साथ बेलपत्र भी चढ़ाने का विधान है. शिव को बेलपत्र अर्पित करते वक्त और इसे तोड़ते समय कुछ खास नियमों का पालन करना जरूरी होता है.

बेलपत्र को संस्कृत में 'बिल्वपत्र' कहा जाता है. यह भगवान शिव को बहुत ही प्रिय है. ऐसी मान्यता है कि बेलपत्र और जल से भगवान शंकर का मस्तिष्क शीतल रहता है. पूजा में इनका प्रयोग करने से वे बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं.हमारे धर्मशास्त्रों में ऐसे निर्देश दिए गए हैं, जिससे धर्म का पालन करते हुए पूरी तरह
प्रकृति की रक्षा भी हो सके . यही वजह है कि देवी-देवताओं को अर्पित किए जाने वाले फूल और पत्र को तोड़ने से जुड़े कुछ नियम बनाए गए है।

बिल्ब पत्र तोड़ने के नियम

1. चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों को, संक्रांति के समय और सोमवार को बेलपत्र न तोड़ें.
2. बेलपत्र भगवान शंकर को बहुत प्रिय है, इसलिए इन तिथियों या वार से पहले तोड़ा गया पत्र चढ़ाना चाहिए.
3. शास्त्रों में कहा गया है कि अगर नया बेलपत्र न मिल सके, तो किसी दूसरे के चढ़ाए हुए बेलपत्र को भी धोकर कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है.

अर्पितान्यपि बिल्वानि प्रक्षाल्यापि पुन: पुन:।

शंकरायार्पणीयानि न नवानि यदि क्वचित्।। (स्कंदपुराण)


4. टहनी से चुन-चुनकर सिर्फ बेलपत्र ही तोड़ना चाहिए, कभी भी पूरी टहनी नहीं तोड़ना चाहिए. पत्र इतनी सावधानी से तोड़ना चाहिए कि वृक्ष को कोई नुकसान न पहुंचे.

5. बेलपत्र तोड़ने से पहले और बाद में वृक्ष को मन ही मन प्रणाम कर लेना चाहिए.


शिवलिंग पर कैसे चढ़ाएं बिल्बपत्र

1. महादेव को बेलपत्र हमेशा उल्टा अर्पित करना चाहिए, यानी पत्ते का चिकना भाग शिवलिंग के ऊपर रहना चाहिए.

2. बेलपत्र में चक्र और वज्र नहीं होना चाहिए.

3. बेलपत्र 3 से लेकर 11 दलों तक के होते हैं. ये जितने अधिक पत्र के हों, उतने ही उत्तम माने जाते हैं.

4. अगर बेलपत्र उपलब्ध न हो, तो बेल के वृक्ष के दर्शन ही कर लेना चाहिए. उससे भी पाप-ताप नष्ट हो जाते हैं.

5. शिवलिंग पर दूसरे के चढ़ाए बेलपत्र की उपेक्षा या अनादर नहीं करना चाहिए.



बेलपत्र अर्पित करने के मन्त्र


" त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम।
त्रिजन्मपापसंहार बिल्वपत्र शिवार्पणम्।।"


तीन गुण , तीन नेत्र , त्रिशूल धारण करने वाले और तीन जन्मों के पाप का सहांर करने वाले हे शिवजी आपको त्रिदल बिल्वपत्र अर्पित करता हूँ।।

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )