श्री गणेश जी के दुर्लभ पंचबाण मन्त्र
१)ॐ गुरुजी समरुं ,गुणपति साधूं ,लाण डाकण मांरु ,चार सिकोत्तरे पाए लगाडूँ,गुणपति राजा घोडे चडीयां भूत पलित में विघन हमेशा होंकारा पिछा फरे तो माई पार्वती जी का दुध हराम करे
२)ॐ गुरुजी गुणेश बोले भोले,सवा सैर लाडू खावे ,होंकारा सो कोस जावे हमेशा होंकारा ,पिछा फरे तो माई पार्वती जी का दुध हराम करे .
३)ॐ गुरुजी बोडोया वीर !तुं बोलीया वीर ,जब जग तारी सेवा करुं लीला थई शिर धरुं ,माथे मांडु पलाण गसाण मांथी मुठी करुं , कहोने संतो राम राम
४)ॐ गुरुजी तम गणेश गोरी का पुत ,ज्यां समरुं त्या आयो जीत ,तमारा पिता ईश्वर महादेव ,साची तमारी सेवा करुं हमेश कामे पधारो लाडु ,सिन्दुरनी पडी लविंग सुपारी पान बिडूं ,श्री गणपती उर मां धरुं
५)ॐ गुरुजी ,सोधबाई से चला आय , राजा प्रजा लागे पाई ,वाटे घाटे न मारी ओजवाई ,ज्यां समरुं त्या आगेवान .
विधी
गणेश चतुर्थि को लाल लंगोट पहन कर गणपति जी की मुर्ती को अक्षत और दुर्वा के उपर रखे फिर दुध दही जल से क्रमवार स्नान कराये स्नान करवाते समय ॐ गुरुजी गं गणपतये नम: ह्रीं गं गणपतये नम: यह मन्त्र पढते रहें स्नान के पश्चात सिन्दुर लगाऐ गुडहल का पुष्प चढाऐं चुरमे के लड्डु का नैवेद्य और पान का बीडा, लोंग ,सुपारी ,दक्षिणा (रुपये /पैसे )सम्मुख रखें,गुग्गुल की धुप देकर आरती करे उसके पश्चात पांचो बाण मन्त्र का जाप करे पांच माला जाप के पश्चात चुरमे के लड्डु का भोग स्वयं लगाए शैष सारी सामग्री भुमी मे गाड देवे आसन के उपर के अक्षत सम्भाल कर रखे इच्छित कार्य में लाते समय गुग्गुल की धुप देकर पांचो बाणो का पांच बार जाप कर अक्षत में चिन्तन करे कार्य अवश्य पुर्ण होगा
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