जैन धन धान्य ऐश्वर्य रिद्धी सिद्धी मन्त्र
ॐ क्रां क्रीं ह्रां ह्रीं उसभमजियं च वन्दे,संभव मभिणं दण च सुमइं,पउयप्पह सुपोस जिणं च।पंदप्पह वन्दे स्वाहा।
विधी
एक माला जाप, शुभ मुहुर्त में करे पद्मासन में बैठकर कमलगट्टे की माला से उत्तर मुख होकर बैठे धुप दिप करे , दुध दही चावल खोया भोजन में ग्रहण करे भुमिशयन करे ब्रह्मचर्य से रहे सत़्य वचन कहे सात दिवस मे सिद्धी हो धन धान्य ऐश्वर्य रिद्धी सिद्धी मिले डुबा धन पुन:प्राप्त हो मनोईच्छा ,रुका ,खोया दिया हुआ धन वापस आयेगा यह जैन मत का मन्त्र है सटिक कार्य करता है
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