KAB HO SAKTI HAI JAIL YA CASE जेल मुकदमा कब हो सकता है और छुटकारा कब मिलेगा ?
कारावास मतलब जेल में रहना जो अत्यंत जीवन के लिए नारकीय समय है साथ ही मुकदमा है कोई तो कब तक छुटकारा इससे मिलेगा ?
कुंडली का 12वा भाव कारावास/जेल से सम्बंधित भाव है
तो शनि मंगल राहु केतु कारावास/जेल तक पहुचाने वाले ग्रह है
तो लग्न लग्नेश जातक/जातिका खुद होते है जब लग्नेश या लग्न का सम्बंध 12वे भाव से या 12वे भाव स्वामी से अशुभ स्थिति में बनेगा
या लग्न का स्वामी 12वे भाव मे हो या 12वे भाव का स्वामी लग्न में अशुभ स्थिति में है
साथ ही छठे या आठवे भाव जो कि परेशानियों , मुक़ादमो से सम्बंधित है इनका भी प्रभाव 12वे भाव पर पड़ेगा तब जेल की रोटी जरूर खाना पढ़ती है
साथ जब लग्न/लग्नेश और 12वे भाव/12वे भाव स्वामी का सम्बंध अशुभ स्थिति में बनेगा और इन पर छठे आठवे भाव स्वामियों के अशुभ प्रभाव होगा तब जेल/कारवास होगा जरूर लेकिन कष्टकारक ज्यादा रहेगा और शनि राहु केतु मंगल का अशुभ प्रभाव भी कष्टकारक स्थिति ज्यादा पैदा करेगा
जबकि अशुभ प्रभाव 12वे भाव पर ज्यादा नही है जब लग्नेश या लग्न का सम्बंध 12वे भाव से हो तो तब ज्यादा जेल का समय कष्टकारक नही होगा ,
जब जेल जाने के योग बना रहे ग्रहो की दशाओ का समय शुरू होगा या चलेगा तब जेल जाना ऐसी में पड़ेगा साथ ही छठा भाव बलवान और शुभ है तब कोई खास मुकादमा नही होगा
साथ ही छठे भाव और इसके स्वामी के बलवान होने से मुक़ादमे में सफलता मिलती है जबकि छठा भाव बिगड़ा हुआ है तब मुक़ादमो में दिक्कत होगी और इस कारण से मुकादम कष्ट देगा।
अब कुछ उदाहरणों से समझते है कब जेल होती और मुकादमा चल रहा है किसी भी सम्बन्ध में तो कब तक खत्म होगा और इसका रिजल्ट क्या होगा???
उदाहरण अनुसार मेष लग्न कारवास 1:-
मेष लग्न कुंडली मे लग्न का स्वामी मंगल बनता है अब मंगल यहाँ 12वे भाव मे राहु के साथ हो या शनि के साथ अशुभ स्थिति में बैठा हो साथ ही 12वे भाव स्वामी गुरु होगा यहाँ यह भी अशुभ हो जैसे अस्त हो और लग्न पर शुभ ग्रहों की दृष्टि नही हो जिससे जेल से बचा जा सके तब यहाँ जेल जाना ही पड़ेगा क्योंकि लग्नेश मंगल 12वे भाव मे अशुभ स्थिति में है।।
उदाहरण अनुसार मेष लग्न मुकादमा 2:-
छठा भाव कोर्ट कचहरी मुकदमे का है अब मेष लग्न में छठे भाव का स्वामी बुध बनता है अब बुध और छठा भाव यहाँ शुभ स्थिति में हो तब मुक़ादमा होने पर सफलता मिलेगी और जल्दी खत्म होगा जबकि छठा भाव और इसका स्वामी बुध यहाँ अशुभ है तब कोर्ट केस/मुक़ादमे में परेशानिया रहेगी और असफलता की स्थिति बनेगी।।
उदाहरण अनुसार कन्या लग्न करावास 3:-
कन्या लग्न में जैसे लग्नेश बुध है तो 12वे भाव स्वामी सूर्य बनता है बुध अशुभ स्थिति में 12वे भाव मे बैठे या छठे भाव मे बैठकर 12वे भाव को देखे अशुभ और पाप ग्रह शनि राहु केतु ,अशुभ मंगल के साथ संबंध बनाकर या 12वे घर स्वामी सूर्य का अशुभ प्रभाव लग्न पर हो और बुध के ऊपर अशुभ शनि राहु या केतु का प्रभाव हो या सम्बन्ध हो तब जेल जाना ही पड़ेगा , जब अशुभ और जेल सम्बन्धी ग्रह दशाये शुरू होने वाली होगी।।
उदाहरण अनुसार कन्या लग्न मुकादमा 4:-
कन्या लग्न में छठे भाव(मुक़ादमे भाव) का स्वामी शनि बनता है अब शनि यहाँ बलवान होकर शुभ ग्रहों जैसे शुक्र गुरु के साथ हो तब मुकादमा कोई भी हो सफलता मिलेगी और मुकादमा जल्दी खत्म होगा जबकि छठे भाव स्वामी शनि यहाँ अशुभ हुआ राहु मंगल केतु के प्रभाव में है या अशुभ योग मर है तब मुक़ादमा लंबा खीचेगा और समस्या होती है हालांकि ऐसी स्थिति में उपाय करके मुकदमें में सफलता और स्वयम के पक्ष की स्थिति की जा सकती है यदि छठा भाव और छठे भाव का स्वामी ज्यादा अशुभ स्थिति में नही होगा तब।।
इस तरह से कारवास/जेल जाना पड़ेगा या नही और जिन लोगो को किसी भी कारण से अपराधी होने पर या कोई झूठा आरोप लगने पर वे बजह जेल जाना पड़ता है यह सब जातक/जातिका की कुंडली पर निर्भर करेगा साथ ही मुकदमा आदि कब खत्म होगा मुक़ादमे में क्या स्थिति रहेगी यह सभी कुंडली का छठा भाव और जिस सम्बन्ध में मुकादमा है उस सम्बन्ध के ग्रहो की स्थिति मुक़ादमे में सफलता, असफलता आदि निर्धारित करेगी।।
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