Wednesday, February 16, 2022

WHO CAN OPEN A COACHING CENTER कोचिंग सेंटर कौन व्यक्ति खोल सकते है ?

WHO CAN OPEN A COACHING CENTER कोचिंग सेंटर कौन व्यक्ति खोल सकते है ?




कोचिंग सेंटर मंतलब शिक्षण संस्थान, कैरियर से सम्बंधित विशेष शिक्षा देने का काम आदि। कोचिंग सेंटर कौन खोल सकते है किनको कोचिंग सेंटर अच्छा लाभ देगा, कोचिंग सेंटर खोलने से अच्छी सफलता किन लोगो को मिल सकती है । 

कुंडली का दसवाँ भाव, भाव स्वामी कार्य क्षेत्र का है तो 5 वा भाव और इसका स्वामी कोचिंग सेंटर (शिक्षण संस्थान) का है।

अब दसवे(कैरियर/रोजगार/व्यापार भाव) और पांचवे भाव(कोचिंग सेंटर भाव) का सबंध जिन शिक्षा सम्बन्धी ग्रहो से होगा उस विषय से सबंधित शिक्षा का, कैरियर शिक्षा का कोचिंग सेंटर खोलने से अच्छा धनलाभ व अच्छी सफलता इस काम मे मिलेगी/मिल जाएगी, दसवाँ भाव, भावेश राजयोग में होगा तब उतना ही ज्यादा प्रसिद्ध कोचिंग सेंटर हो पायेगा, कोचिंग सेंटर व्यापार के अंतर्गत आता है इस कारण व्यापार कारक ग्रह बुध का अत्यंत बलवान होना भी जरूरी है।

उदाहरण अनुसार सिंह लग्न 1:- 

सिंह लग्न में दशमेश शुक्र का पंचमेश गुरु से सम्बन्ध या दशमेष शुक्र का 5 वे भाव या पंचमेश का दसवे भाव से अच्छी स्थिति में सम्बन्ध है या बनाता है साथ ही बुध व्यापार जितना बलवान है तब कोचिंग सेंटर खोलने से अच्छी सफलता देगा, दसवे भाव या दशमेष शुक्र के साथ कोई बड़ा राजयोग भी बना है तब बहुत अच्छी सफलता व धनलाभ सफलता कोचिंग सेंटर खोलने से मिलेगी।। 

उदाहरण अनुसार वृश्चिक लग्न 2:- 

वृश्चिक लग्न में दशमेष सूर्य पंचमेश गुरु का आपस मे सम्बन्ध कोचिंग सेंटर  खोलने से अच्छी सफलता मिलेगी, यदि यहाँ सूर्य और दसवाँ भाव राजयोग में है तब बहुत बड़े स्तर पर कोचिंग सेंटर खोलने पर अच्छी सफलता मिलेगी, बुध व्यापार करने योग्य बलवान होना जरूरी है।।

उदाहरण अनुसार वृष लग्न 3:- 

वृष लग्न में बुध शनि का आपसी बलवान सम्बन्ध साथ ही 5 वे और दसवे भाव और इनके स्वामियो बुध शनि का अधिक से अधिक बलवान होना कोचिंग सेंटर खोलने या शुरू करने पर अच्छी व्यवसायिक सफलता देगा, बुध अधिक से अधिक बलवान होना चाहिए।।

जिस भी विषय के क्षेत्र में कोचिंग सेंटर खोलने पर तब उपरोक्त सम्बन्ध होने पर ही सफलता मिलेगी साथ ही दसवाँ वुर पांचवा भाव जितने ज्यादा से ज्यादा बलवान और राजयोग में होंगे उतनी बड़ी सफलता खुद का कोचिंग सेंटर शुरू करने पर मिलेगी।

KAB HO SAKTI HAI JAIL YA CASE जेल मुकदमा कब हो सकता है और छुटकारा कब मिलेगा ?

KAB HO SAKTI HAI JAIL YA CASE जेल मुकदमा कब हो सकता है और छुटकारा कब मिलेगा ?



कारावास मतलब जेल में रहना जो अत्यंत जीवन के लिए नारकीय समय है साथ ही मुकदमा है कोई तो कब तक छुटकारा इससे मिलेगा ? 

कुंडली का 12वा भाव कारावास/जेल से सम्बंधित भाव है 

तो शनि मंगल राहु केतु कारावास/जेल तक पहुचाने वाले ग्रह है 

तो लग्न लग्नेश जातक/जातिका खुद होते है जब लग्नेश या लग्न का सम्बंध 12वे भाव से या 12वे भाव स्वामी से अशुभ स्थिति में बनेगा 

या लग्न का स्वामी 12वे भाव मे हो या 12वे भाव का स्वामी लग्न में अशुभ स्थिति में है 

साथ ही छठे या आठवे भाव जो कि परेशानियों , मुक़ादमो से सम्बंधित है इनका भी प्रभाव 12वे भाव पर पड़ेगा तब जेल की रोटी जरूर खाना पढ़ती है 

साथ जब लग्न/लग्नेश और 12वे भाव/12वे भाव स्वामी का सम्बंध अशुभ स्थिति में बनेगा और इन पर छठे आठवे भाव स्वामियों के अशुभ प्रभाव होगा तब जेल/कारवास होगा जरूर लेकिन कष्टकारक ज्यादा रहेगा और शनि राहु केतु मंगल का अशुभ प्रभाव भी कष्टकारक स्थिति ज्यादा पैदा करेगा 

जबकि अशुभ प्रभाव 12वे भाव पर ज्यादा नही है जब लग्नेश या लग्न का सम्बंध 12वे भाव से हो तो तब ज्यादा जेल का समय कष्टकारक नही होगा , 

जब जेल जाने के योग बना रहे ग्रहो की दशाओ का समय शुरू होगा  या चलेगा तब जेल जाना ऐसी में पड़ेगा साथ ही छठा भाव बलवान और शुभ है तब कोई खास मुकादमा नही होगा 

साथ ही छठे भाव और इसके स्वामी के बलवान होने से मुक़ादमे में सफलता मिलती है जबकि छठा भाव बिगड़ा हुआ है तब मुक़ादमो में दिक्कत होगी और इस कारण से मुकादम कष्ट देगा।

अब कुछ उदाहरणों से समझते है कब जेल होती और मुकादमा चल रहा है किसी भी सम्बन्ध में तो कब तक खत्म होगा और इसका रिजल्ट क्या होगा???                        

उदाहरण अनुसार मेष लग्न कारवास 1:- 

मेष लग्न कुंडली मे लग्न का स्वामी मंगल बनता है अब मंगल यहाँ 12वे भाव मे राहु के साथ हो या शनि के साथ अशुभ स्थिति में बैठा हो साथ ही 12वे भाव स्वामी गुरु होगा यहाँ यह भी अशुभ हो जैसे अस्त हो और लग्न पर शुभ ग्रहों की दृष्टि नही हो जिससे जेल से बचा जा सके तब यहाँ जेल जाना ही पड़ेगा क्योंकि लग्नेश मंगल 12वे भाव मे अशुभ स्थिति में है।।

 उदाहरण अनुसार मेष लग्न मुकादमा 2:- 

छठा भाव कोर्ट कचहरी मुकदमे का है अब मेष लग्न में छठे भाव का स्वामी बुध बनता है अब बुध और छठा भाव यहाँ शुभ स्थिति में हो तब मुक़ादमा होने पर सफलता मिलेगी और जल्दी खत्म होगा जबकि छठा भाव और इसका स्वामी बुध यहाँ अशुभ है तब कोर्ट केस/मुक़ादमे में परेशानिया रहेगी और असफलता की स्थिति बनेगी।।

 उदाहरण अनुसार कन्या लग्न करावास 3:- 

कन्या लग्न में जैसे लग्नेश बुध है तो 12वे भाव स्वामी सूर्य बनता है बुध अशुभ स्थिति में 12वे भाव मे बैठे या छठे भाव मे बैठकर 12वे भाव को देखे अशुभ और पाप ग्रह शनि राहु केतु ,अशुभ मंगल के साथ संबंध बनाकर या 12वे घर स्वामी सूर्य का अशुभ प्रभाव लग्न पर हो और बुध के ऊपर अशुभ शनि राहु या केतु का प्रभाव हो या सम्बन्ध हो तब जेल जाना ही पड़ेगा , जब अशुभ और जेल सम्बन्धी ग्रह दशाये शुरू होने वाली होगी।।

  उदाहरण अनुसार कन्या लग्न मुकादमा 4:-  

कन्या लग्न में छठे भाव(मुक़ादमे भाव) का स्वामी शनि बनता है अब शनि यहाँ बलवान होकर शुभ ग्रहों जैसे शुक्र गुरु के साथ हो तब मुकादमा कोई भी हो सफलता मिलेगी और मुकादमा जल्दी खत्म होगा जबकि छठे भाव स्वामी शनि यहाँ अशुभ हुआ राहु मंगल केतु के प्रभाव में है या अशुभ योग मर है तब मुक़ादमा लंबा खीचेगा और समस्या होती है हालांकि ऐसी स्थिति में उपाय करके मुकदमें में सफलता और स्वयम के पक्ष की स्थिति की जा सकती है यदि छठा भाव और छठे भाव का स्वामी ज्यादा अशुभ स्थिति में नही होगा तब।।

इस तरह से कारवास/जेल जाना पड़ेगा या नही और जिन लोगो को किसी भी कारण से अपराधी होने पर या कोई झूठा आरोप लगने पर वे बजह जेल जाना पड़ता है यह सब जातक/जातिका की कुंडली पर निर्भर करेगा साथ ही मुकदमा आदि कब खत्म होगा मुक़ादमे में क्या स्थिति रहेगी यह सभी कुंडली का छठा भाव और जिस सम्बन्ध में मुकादमा है उस सम्बन्ध के ग्रहो की स्थिति मुक़ादमे में सफलता, असफलता आदि निर्धारित करेगी।।

Tuesday, February 15, 2022

DOING BUSSINESS OF BANGLES चूड़ियों का व्यापार कौन लोग कर सकते है

DOING BUSSINESS OF BANGLES चूड़ियों का व्यापार कौन लोग कर सकते है



चूड़ियों का व्यापार (काम) किन लोगों को लाभ देगा और कौन लोग कर सकते है ?

चूड़ियों के व्यापार में या चूड़ियों का बिजनेस दो तरह से किया जा सकता है थोक स्तर पर और सामान्य दुकानदारी स्तर पर। कुंडली मे योग होने पर ही इस बिजनेस को करने के यह लाभ देगा, कुंडली का दसवाँ भाव बड़े स्तर (थोक स्तर पर) तो सातवाँ भाव दुकानदारी/रेटेल स्तर पर व्यापार का है तो शुक्र और बुध इस व्यापार के मुख्य ग्रह है क्योंकि हर तरह की चूड़ियों का ग्रह है तो बुध व्यापार ग्रह है।

जब भी सातवें भाव का या इसके स्वामी का धन भावो दूसरे या सातवें भाव स्वामी सहित बलवान शुक्र से भी सातवें भाव या इस भाव स्वामी का सम्बन्ध होगा तब और बुध अत्यंत बलवान होगा तब चूड़ियों का व्यापार, बिक्री करने से अच्छा आर्थिक लाभ रहेगा, जबकि सातवें भाव स्वामी या सातवें भाव स्वामी का दसवे भाव से या दसवे भाव स्वामी से भी सम्बन्ध होगा और बलवान शुक्र का भी सम्बन्ध दसवे से होगा, बुध बलवान होगा तब हॉलसेल स्तर पर चूड़ियों का बिजनेस में सफलता मिलेगी, धन और आय भाव(दूसरे और ग्यारहवें भाव)जितने ज्यादा बलवान और शुभ होंगे धनलाभ उतना ही अच्छा रहेगा।

कुछ उदाहरणो से समझते है कौन लोग इस व्यापार को कर सकते है और धन कमा सकते है साथ ही हॉलसेल पर अच्छा चल पाएगा या दुकानदारी स्तर पर अच्छा चलेगा??? 

उदाहरण अनुसार मिथुन लग्न 1:-

मिथुन लग्न में 7वे+10वे भाव स्वामी गुरु का सम्बन्ध शुक्र से हो साथ ही गुरु यहाँ धन भाव या धन भाव स्वामी चन्द्र या ग्यारहवे भाव स्वामी मंगल के साथ सम्बन्ध में है व्यापार ग्रह बुध भी बलवान है तब चूड़ियों का व्यापार करने से अच्छा धन लाभ रहेगा, यहाँ 7वा भाव ज्यादा बलवान हुआ तब दुकानदारी स्तर पर और 10वा भाव अधिक बलवान हुआ ,राजयोग   आदि में हुआ तब हॉलसेल स्तर पर चूड़ियों का काम लाभ देगा।।

उदाहरण अनुसार सिंह लग्न 2:-

सिंह लग्न में सातवें भाव स्वामी शनि का सम्बन्ध शुक्र सहित दूसरे या ग्यारहवे भाव से या इन भावों के स्वामी बुध से है और बुध शुक्र शनि तीनो की अत्यंत बलवान है तब चूड़ियों का व्यापार दुकान स्तर पर किया जा सकता है और दसवाँ भाव ज्यादा ही बलवान है किसी राजयोग आदि में है तब हॉलसेल पर चूड़ियों का काम अच्छा धनलाभ देगा।। 

उदाहरण अनुसार कन्या लग्न 3:- 

कन्या लग्न में व्यवसाय/कैरियर स्वामी ग्रह गुरु होता है अब गुरु का सम्बन्ध यहाँ धन स्वामी शुक्र से हो जाये ,शुक्र जो कि चूड़ी व्यवसाय का ग्रह भी है, और बुध बलवान है तब चूड़ियों का व्यापार करने से अच्छा धनलाभ रहेगा।। 7वे भाव/भाव स्वामी का दूसरे या ग्यारहवे भाव स्वामी से बलवान सम्बन्ध दुकानदारी करके और दसवे भाव का बलवान शुक्र से सम्बन्ध हॉलसेल पर इस बिजनेस में सफलता दिलाएगा।

विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )