राहु गायत्री
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राहु की उपासना में शीघ्र ही फल प्राप्ति के लिए राहु गायत्री का जप करने का विधान है । साधक अपनी श्रद्धा व सामर्थ्य के अनुसार इसका जितना चाहे जप कर सकता है ।
ॐ शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहु प्रचोदयात् ।
राहु स्तोत्र का पाठ भी राहु पीड़ा दूर करने में शुभ प्रभाव दिखाता है
राहुर्दानवमन्त्री च सिंहिकाचित्तनन्दन: ।
अर्धकाय: सदा क्रोधी चन्द्ररादित्यविमर्दन: ।।
रौद्रो रुद्रप्रियो दैत्य: स्वर्भानुर्भानुभीतिद: ।
ग्रहराज: सुधापायी राकातिथ्यभिलाषक: ।।
कालदृष्टि: कालरुप: श्रीकण्ठहृदयाश्रय: ।
विधुं तुद: सैंहिकेयो घोररुपो महाबल: ।।
ग्रहपीड़ाकरो दंष्ट्री रक्तनेत्रो महोदर: ।
पंचविंशति नामानि स्मृत्वा राहुं सदा नर: ।।
य: पठेन्महती पीड़ा तस्य नश्यति केवलम् ।
आरोग्यं पुत्रमतुलां श्रियं धान्यं पशूंस्तथा ।।
ददाति राहुस्तस्मै य: पठते स्तोत्रमुत्तमम ।
सततं पठते यस्तु जीवेद्वर्षशतं नर: ।।
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