मनचाहा कार्य सिद्धि मन्त्र
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॥ मंत्र ॥
ॐ नमो सात समुन्द्र के बीच शिला।
जिस पर सुलेमान पैगम्बर बैठे।
सुलेमान पैगम्बर के चार मुवकिल।
पूर्व को धाया देव दानवों को बांधी लाया।
दूसरा मुवकिल पश्चिम को धाया।
भूत प्रेत को बाँधी लाया।
चौथा मुवकिल उत्तर को धाया।
अयुत पितृ को बांधी लाया।
चौथा मुवकिल दक्षिण को धाया।
डाकिनी शाकिनी को पकडी लाया।
चार मुवकिल चहुँ दिशि धावें।
छलछिद्र कोऊ रहन न पावे।
रोग दोष को दूर भगावे।
शब्द शांचा।
पिंड कांचा।
फुरे मन्त्र ईश्वरो वाचा।
विधि:
पहले तो इस मन्त्र को ग्रहण काल में २१ माला जप कर सिद्ध कर लो। फिर जब भी जरूरत हो तब कपडे कि चार गुड़िया बनाना फ़िर लोबान जला कर १०८ बार इस मंत्रका जप करना है। अब मंत्र से इन चारोँ गुड़िया य पुतलियों को अभिमंत्रित करके चार अलग अलग कौनों में दबा दें। अब फिर १५ मिनट बैठकर कम्बल के आसान पर इस मन्त्र का जप करें। इस से सभी अमंगल का नाश होकर सभी विघ्नो का काम खतम हो जाता है और मनोवांछित कार्य में सफलता मिलती है चाहे कार्य कैसा भी हो।
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