DHANVANTRI DHANTERAS SAMPURN PUJA VIDHI धन्वंतरि धनतेरस सम्पूर्ण पूजा विधि
दक्षिणा 501 /- ज्योतिष तंत्र मंत्र यंत्र टोटका वास्तु कुंडली हस्त रेखा राशि रत्न,भूत प्रेत जिन जिन्नात बुरे गंदे सपने का आना, कोर्ट केस, लव मैरिज, डाइवोर्स, वशीकरण पितृ दोष कालसर्प दोष चंडाल दोष गृह क्लेश बिजनस विदेश यात्रा, अप्सरा परी साधना, अघोर साधनायें , समशान तांत्रिक साधनायें, सास बहु, सास ससुर, पति पत्नी, जेठ जेठानी, देवर देवरानी, नन्द नन्दोई, साला साली, सभी झगड़े विवाद का हल व वशीकरण कार्य किया जाता है
धनतेरस पवित्र पर्व है। इस दिन धन और आरोग्य के लिए भगवान धन्वंतरि पूजे जाते हैं।
धनतेरस का दिन नर्इ खरीद के लिए शुभ माना जाता है। इसी दिन से दीपावली के पर्व का श्रीगणेश होता है आैर बाजारों में त्योहार जैसी रौनक दिखार्इ देने लगती है। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। इस तिथि को वे समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे।
उनके हाथ में अमृत कलश था। भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक हैं। वे समस्त रोग, शोक आैर संताप का निवारण कर देते हैं। धनतेरस के दिन उनका पूजन करने से आरोग्य, सुख, समृद्घि आैर दीर्घायु की प्राप्ति होती है। जानिए कैसे करें भगवान धन्वंतरि का पूजन...
प्रातः स्नान आदि दैनिक क्रियाआें से निवृत्त होने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। तत्पश्चात पूजन स्थल पर भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। यह स्थान एेसा हो कि आपका मुख पूर्व दिशा की आेर रहे। यह सूर्य देव की दिशा है जो जीवन के लिए शक्ति देते हैं।
इसके पश्चात इस मंत्र के साथ भगवान धन्वंतरि का आह्वान करना चाहिए-
सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं, अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य। गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।
भगवान धन्वंतरि को चावल, रोली, पुष्प, गंध, जल चढ़ाएं आैर भोग अर्पित करें। संभव हो तो खीर का भोग लगाएं। इस पौराणिक मंत्र से भी भगवान धन्वंतरि शीघ्र प्रसन्न होते हैं -
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:। अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय। त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप। श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
रोगनाश के लिए यह मंत्र बोलकर भगवान से प्रार्थना करें-
ऊं रं रूद्र रोग नाशाय धनवंतर्ये फट्।।
पूजन में फल, दक्षिणा आदि चढ़ाने के बाद धूप, दीप आैर कपूर प्रज्वलित कर भगवान की आरती करें।
ये हैं पूजन शुभ मुहूर्त प्रदोष काल (वृषभ लग्न)
भगवान धन्वंतरि को प्रसन्न करने का अत्यंत सरल मंत्र है:
ॐ धन्वंतराये नमः॥
आरोग्य प्राप्ति हेतु धन्वंतरि देव का पौराणिक मंत्र
पवित्र धन्वंतरि स्तोत्र :
ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः।
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥
कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम।
वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम॥
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
अर्थात् परम भगवन को, जिन्हें सुदर्शन वासुदेव धन्वंतरि कहते हैं, जो अमृत कलश लिए हैं, सर्व भयनाशक हैं, सर्व रोग नाश करते हैं, तीनों लोकों के स्वामी हैं और उनका निर्वाह करने वाले हैं; उन विष्णु स्वरूप धन्वंतरि को सादर नमन है।
धन तेरस पूजा विधि
एक लकड़ी के बेंच पर रोली के माध्यम से स्वस्तिक का निशान बनाये।
फिर एक मिटटी के दिए को उस बेंच पर रख कर जलाएं।
दिए के आस पास तीन बारी गंगा जल का छिडकाव करें।
दिए पर रोली का तिलक लगायें। उसके बाद तिलक पर चावल रखें।
दिए में थोड़ी चीनी डालें।
इसके बाद 1 रुपये का सिक्का दिए में डालें।
दिए पर थोड़े फूल चढायें।
दिए को प्रणाम करें।
परिवार के सदस्यों को तिलक लगायें।
अब दिए को अपने घर के गेट के पास रखें। उसे दाहिने तरह रखें और यह सुनिश्चित करें की दिए की लौं दक्षिण दिशा की तरफ हो।
इसके बाद यम देव के लिए मिटटी का दिया जलायें और फिर धन्वान्तारी पूजा घर में करें।
अपने पूजा घर में भेठ कर धन्वान्तारी मंत्र का 108 बार जाप करें। “ॐ धन धनवंतारये नमः
जब आप 108 बारी मंत्र का जाप कर चुके होंगे तब इन पंक्तियों का उच्चारण करें “है धन्वान्तारी देवता में इन पंक्तियों का उच्चारण अपने चरणों में अर्पण करता हूँ।
धन्वान्तारी पूजा के बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पंचोपचार पूजा करना अनिवार्य है।
भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के लिए मिटटी के दियें जलाएं। धुप जलाकर उनकी पूजा करें। भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के चरणों में फूल चढायें और मिठाई का भोग लगायें।
* सबसे पहले मिट्टी का हाथी और धन्वंतरि भगवानजी का चित्र स्थापित करें।
* शुद्ध चांदी या तांबे की आचमनी से जल का आचमन करें।
* श्रीगणेश का ध्यान व पूजन करें।
* हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर भगवान धन्वंतरि का ध्यान करें।
* इस मंत्र से ध्यान करें :
* मंत्र : देवान कृशान सुरसंघनि पीडितांगान
दृष्ट्वा दयालुर मृतं विपरीतु कामः
पायोधि मंथन विधौ प्रकटौ भवधो
धन्वन्तरि: स भगवानवतात सदा नः
ॐ धन्वन्तरि देवाय नमः
ध्यानार्थे अक्षत पुष्पाणि समर्पयामि...
* पुष्प अर्पित कर दें और जल का आचमन करें।
* 3 बार जल के छींटे दें और यह बोलें ... मंत्र : पाद्यं अर्घ्यं आचमनीयं समर्पयामि।
* भगवान धन्वंतरि के चित्र का जल के छींटों और मंत्र से स्नान कराएं।
* मंत्र : ॐ धनवन्तरयै नमः
मंत्र :स्नानार्थे जलं समर्पयामि
* पंचामृत स्नान कराएं
* मंत्र : ॐ धनवन्तरायै नमः
मंत्र : पंचामृत स्नानार्थे पंचामृत समर्पयामि ||
* फिर जल से स्नान कराएं।
* मंत्र : पंचामृत स्नानान्ते शुद्धोधक स्नानं समर्पयामि ||
* इत्र छिड़कें।
मंत्र : सुवासितं इत्रं समर्पयामि
* वस्त्र या मौली अर्पित करें
मंत्र : वस्त्रं समर्पयामि
* रोली या लाल चंदन से तिलक करें।
मंत्र : गन्धं समर्पयामि (इत्र चढ़ाएं)
मंत्र : अक्षतान् समर्पयामि (चावल चढ़ाएं)
मंत्र : पुष्पं समर्पयामि (फूल चढ़ाएं)
मंत्र : धूपम आघ्रापयामि (अगरबत्ती जलाएं)
मंत्र : दीपकं दर्शयामि ( जलते दीपक की पूजा करें फिर उसी से आरती घुमाएं)
मंत्र : नैवेद्यं निवेद्यामि (प्रसाद चढ़ाएं, प्रसाद के आसपास पानी घुमाएं)
मंत्र : आचमनीयं जलं समर्पयामि... (अपने आसन के आसपास पानी छोड़ें)
मंत्र : ऋतुफलं समर्पयामि (फल चढ़ाएं, फल के चारों तरफ पानी घुमाएं)
मंत्र : ताम्बूलं समर्पयामि (पान चढ़ाएं)
मंत्र : दक्षिणा समर्पयामि (चांदी-सोने के सिक्के अगर खरीदें हैं तो उन्हें अर्पित करें या फिर घर में रखें रुपए-पैसे चढ़ाएं।
मंत्र : कर्पूर नीराजनं दर्शयामि ( कर्पूर जलाकर आरती करें)
* धन्वंतरि जी से यह प्रार्थना करें : हे आयुर्वेद के जनक धन्वंतरि देव समस्त जगत को निरोग कर मानव समाज को दीर्घायुष्य प्रदान करें। हमें सपरिवार आरोग्य का वरदान प्रदान करें।
* धन तेरस की शाम को प्रदोषकाल में अपने घर के मुख्य दरवाजे पर अन्न की ढेरी पर दोनों तरफ दीपक जलाएं और उस समय यमराजजी का ध्यान करें। यह मंत्र बोलें।
मंत्र : मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह |
त्रयोदश्यां दीपदानात सूर्यजः प्रीयता मिति ||
कुबेर मंत्र : ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधि पतये धनधान्य समृद्धि में देहि दापय दापय स्वाहा।।
अंत में मां लक्ष्मी, कुबेर, गणेश, मिट्टी के हाथी और धन्वंतरि जी सबका एक साथ पूजन करें। आरती करें। आपकी धनतेरस पूजन संपन्न हुई।
धनतेरस कथा (Dhanteras Katha in Hindi)
कहा (Dhanteras Story in Hindi) जाता है कि इसी दिन यमराज से राजा हिम के पुत्र की रक्षा उसकी पत्नी ने किया था, जिस कारण दीपावली से दो दिन पहले मनाए जाने वाले ऐश्वर्य का त्यौहार धनतेरस पर सायंकाल को यम देव के निमित्त दीपदान किया जाता है। इस दिन को यमदीप दान भी कहा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है और पूरा परिवार स्वस्थ रहता है। इस दिन घरों को साफ-सफाई, लीप-पोत कर स्वच्छ और पवित्र बनाया जाता है और फिर शाम के समय रंगोली बना दीपक जलाकर धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी का आवाहन किया जाता है।
No comments:
Post a Comment