ATYANT DURLABH SHABAR KUNJIKA STOTRA अत्यंत दुर्लभ शाबर कुंजिका स्तोत्र
देवी की आराधना में तांत्रोक्त सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का बहुत महत्व है | तंत्र साहित्य में रुद्रायमल तंत्र की सर्वोत्तम कुंजिका असंभव को संभव करने वाली भगवती शाबर कुंजिका साधना मानी जाती है | हर देवी-देवता की अलग-अलग कुंजिका काही गई है | शाबर तंत्र परंपरा में भगवती की कुंजिका, भगवती शाबर कुंजिका यदि कोई आस्था से नित्य करता है तो उसको दैहिक, भौतिक और दैविक किसी भी प्रकार के सुखों की कमी नहीं रह जाती है, ऐसा तंत्र के साधकों और मर्मज्ञों का मत है | कुंजिका का अर्थ होता है चाबी | और वास्तव में तंत्र जगत की यह वो चाबी है जो भाग्य खोने की शक्ति रखती है |
भगवती शाबर कुंजिका तंत्र जगत की वो गुप्त और रहस्यमई विधा है, जिसका अभी तक अनेक लोगों को ज्ञान नहीं है |
अत्यंत दुर्लभ शाबर कुंजिका स्तोत्र -
गौराशंकर दो रुप एक मूरत करै शबद जीव हित में ।
मातिका का कवन फल का हेतु विध प्रयोजन कहो हे प्राननाथ ।
नौ आखर जोड़कर बावन का पूरवारध ।
आसन छोड़ माई चलै करे अन्तरवास ।
स्वयं बतावे स्वयं ले आवे सब परत खोल धावे ।
जो उलटा चले तो सब हित पर जो फलै अचरज करै ।
कहै औघड़नाथ इमे बसे गौरा संग मोर प्रान ।।
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