Wednesday, August 26, 2020

STRI VASHIKARAN स्त्री वशीकरण

STRI VASHIKARAN स्त्री वशीकरण

जिस औरत को करते हैं पसंद उस पर फूंक दे ये मंत्र, खुद बन जाएगी आपकी जीवनसाथी

मनचाही स्त्री का वशीकरण करने के लिए शाबर मंत्र बहुत लाभकारी है। ये सिद्ध मंत्र और टोटके से किसी भी स्त्री को अपने वश में किया जा सकता है।

अगर आपको प्रेम में सफलता न मिल रही हो तो आप कुछ उपाय करके इसे पा सकते हैं। इसके लिए तंत्र-मंत्र का का सहारा का लिया जा सकता है। ऐसे तंत्र अपनाने चाहिए जिससे व्यक्ति विशेष को नुकसान न हो...।

इस मंत्र को अगर विधिपूर्वक किया जाए तो पसंद की स्त्री को अपने वश में किया जा सकता है। इसे स्त्री शाबर वशीकरण मंत्र भी कहा जाता है। इसका प्रयोग केवल स्त्री को ही वश में करने के लिए करना चाहिए।

स्त्री वशीकरण विधि

इस मंत्र का प्रयोग गुरूवार के दिन करे। गुरूवार के दिन शाम के समय घर का एक स्थान चुन लें। उस स्थान पर आसन लगाकर बैठ जाएं। एक डिब्बी में थोडा नमक लें उस पर ढक्कन लगा रहने दें। डिब्बी से ढक्कन हटा दे और एक मंत्र का उच्चारण करें....


स्त्री वशीकरण मंत्र

"ॐ भगवती भग भाग दायिनी देव दत्तीं मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा"

एक मंत्र का उच्चारण करके डिब्बी में नमक की तरफ फूंक मारें। डिब्बी पर करीब 7 बार फूंक मारें। सात बार डिब्बी के नमक अभिमंत्रित करने के बाद इस डिब्बी को बंदकर किसी सुरक्षित स्थान पर रख दें। अब इस मंत्र के जाप से यह नमक अभिमंत्रित हो चुका है लगातार 29 दिन तक 7 बार इस मंत्र को अभिमंत्रित करते रहें।

जिस समय पहली बार यह तंत्र-मंत्र करे उसे जारी रखें एक दिन भी तोड़े नहीं। मंत्र में देव दत्तीं शब्द के दौरान मनचाही स्त्री का नाम लें। 29 दिन बाद इस नमक को मनचाही स्त्री को धोखे से खिला दें। नमक खाने के बाद वह महिला आपकी ओर आकर्षित होने लगेगी। वह वशीभूत होकर खुद व खुद चली आएगी।

जिस महिला को आप पसंद करते हैं उस पर प्रभाव होना शुरू हो जाएगा। इस मंत्र के सकारात्मक प्रभाव है जिससे कारण आपको मनचाहा जीवनसाथी मिलेगा और जो बाधा होगी वो भी दूर हो जाएगी।  

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HINDU PANCHANG KE PANCH ANG पंचांग के पंच अंग

HINDU PANCHANG KE PANCH ANG पंचांग के पंच अंग


पंचांग शब्द सुनकर यह जिज्ञासा होती है कि इसके पंच अंग कौन-कौन से हैं। पंचांग में तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण को शामिल किया जाता है। तिथियां, प्रतिपदा से पूर्णिमा-अमावस्या सहित, कुल 16 हैं। वहीं अभिजित को मिलाकर कुल 28 नक्षत्र होते हैं। योग की संख्या 27 और करण की 16 है।

वार सात हैं। जन्म के नक्षत्रों से पता चल जाता है कि आदमी किस ग्रह की दशा के प्रभाव में है। नौ ग्रह- केतु, शुक्र, सूर्य, चंद्रमा, मंगल, राहु, गुरु, शनि और बुध 27 नक्षत्रों के स्वामी हैं। अभिजित नक्षत्र, जो हर दिन दोपहर में सदैव विराजमान होता है, उसका स्वामी सूर्य-चंद्रमा को माना जाता है। देवी-देवताओं में प्रथम पूज्य विनायक का जन्म शतभिषा नक्षत्र में, भगवान राम का जन्म पुष्य नक्षत्र, तो कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।

अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्र के स्वामी केतु हैं। शुक्र स्वामी हैं भरणी, पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा के, वहीं सूर्य कृतिका, उत्तरा फाल्गुनी और उत्तराषाढ़ा के स्वामी हैं। चंद्रमा राोहिणी, हस्त और श्रवण के स्वामी हैं, तो मंगल मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा के स्वामी हैं। राहु आद्र्रा, स्वाति और शतभिषा नक्षत्र के स्वामी हैं, जबकि गुरु पुनर्वसु,विशाखा और पूर्वाभाद्रपद के। शनि पुष्य,अनुराधा और उत्तराभाद्रपद के और बुध अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्र के स्वामी हैं। सभी नक्षत्रों के राजा पुष्य हैं।

नक्षत्रों के देवता इस प्रकार हैं- देव वैद्य अश्विनी कुमार अश्विनी नक्षत्र के देवता हैं। भरणी के देवता यम, तो कृतिका के अग्निदेव हैं। रोहिणी के ब्रह्मा, तो मृगषिरा के देवता चंद्रमा हैं। आद्र्रा के देवता रुद्र-शिव, तो पुनर्वसु की देवी अदिति हैं। पुष्य के देवता बृहस्पति और अश्लेषा के सर्प हैं। मघा के देवता पितर, पूर्वा फाल्गुनी के भग और उत्तराफाल्गुनी के अर्यमा हैं। हस्त के देवता सूर्य हैं, चित्रा के विश्वकर्मा व स्वाति के वायु हैं। विशाखा के देवता इंद्राग्नि, अनुराधा के मित्र और ज्येष्ठा के इंद्र हैं। मूल नक्षत्र के देवता निऋर्ित (राक्षस) हैं। पूर्वाषाढ़ा के देवता जल और उत्तराषाढ़ा के विष्वदेव हैं। अभिजित नक्षत्र के देवता सृष्टिकर्ता ब्रह्माजी हैं। श्रवण के देवता विष्णु और धनिष्ठा के वसु हैं। शतभिषा के देवता वरुण, पूर्वाभाद्रपद के अजैकपाद, उत्तराभाद्रपद के देवता अहिर्बुधन्य और रेवती के देवता पूषा हैं।

Friday, August 14, 2020

श्राद्ध 2020 SHRADH DATES 2020

 सितम्बर 2020

1

सितम्बर 1, 2020, मंगलवार भाद्रपद, शुक्ल पूर्णिमा

पूर्णिमा श्राद्ध

2

प्रतिपदा श्राद्ध

सितम्बर 2, 2020, बुधवार आश्विन, कृष्ण प्रतिपदा


3

द्वितीया श्राद्ध

सितम्बर 3, 2020, बृहस्पतिवार आश्विन, कृष्ण द्वितीया


5

तृतीया श्राद्ध

सितम्बर 5, 2020, शनिवार आश्विन, कृष्ण तृतीया


6

चतुर्थी श्राद्ध

सितम्बर 6, 2020, रविवार आश्विन, कृष्ण चतुर्थी


7

पञ्चमी श्राद्ध

महा भरणी

सितम्बर 7, 2020, सोमवार आश्विन, भरणी नक्षत्र


8

षष्ठी श्राद्ध

सितम्बर 8, 2020, मंगलवार आश्विन, कृष्ण षष्ठी


9

सप्तमी श्राद्ध

सितम्बर 9, 2020, बुधवार आश्विन, कृष्ण सप्तमी

 

10

अष्टमी श्राद्ध

सितम्बर 10, 2020, बृहस्पतिवार आश्विन, कृष्ण अष्टमी


11

नवमी श्राद्ध

सितम्बर 11, 2020, शुक्रवार आश्विन, कृष्ण नवमी


12

दशमी श्राद्ध

सितम्बर 12, 2020, शनिवार आश्विन, कृष्ण दशमी


13

एकादशी श्राद्ध

सितम्बर 13, 2020, रविवार आश्विन, कृष्ण एकादशी


14

द्वादशी श्राद्ध

सितम्बर 14, 2020, सोमवार आश्विन, कृष्ण द्वादशी


15

मघा श्राद्ध त्रयोदशी श्राद्ध

सितम्बर 15, 2020, मंगलवार आश्विन, मघा नक्षत्र


16

चतुर्दशी श्राद्ध

सितम्बर 16, 2020, बुधवार आश्विन, कृष्ण चतुर्दशी


17

सर्वपित्रू अमावस्या

सितम्बर 17, 2020, बृहस्पतिवार आश्विन, कृष्ण अमावस्या                   

विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )