JYOTISH KE 20 ANUBHUT PRAMANIK SUTR ज्योतिष के 20 अनुभूत प्रमाणिक सूत्र
(1) कुंडली में लग्न का स्वामी सूर्य के साथ बैठा हो तो विशेष लाभ देने वाला होता है |
(2) लग्न का मालिक उच्च का हो तो जातक धनवान, दानी और विख्यात होता है |
(3) कुंडली में छठे घर का स्वामी आठवे भाव में हो तो जातक खूब धनवान होगा पर उसे किसी पर यकीन नहीं होगा | (4) कुंडली के अष्टम भाव में गुरु और शुक्र की युति हो तो कोर्ट – कचहरी में हार हो, कष्ट हो | (5) कुंडली में कर्क का चन्द्रमा हो तो तो सोमवार का दिन अच्छा होता है | (6) कुंडली में दो ग्रह दशम भाव में हो तो जातक मशहूर होता है, तथा सूर्य चन्द्रमा नवम भाव में हो तो जातक धनवान होता है | (7) कुंडली के द्वितीय भाव में सूर्य हो और शनि की दृष्टि तो जातक को धन के मामले में परेशानी होती है (8) भाग्य भाव का स्वामी केंद्र में हो तो बाल्य अवस्था में ही भाग्योदय हो जाता है | (9) कुंडली में पंचमेश और नवमेश की युति सप्तम भाव में हो तो ये महानराजयोग बनता है | (10) राहुऔर केतु त्रिकोण में हो और केंद्र के स्वामी के साथ सम्बन्ध होतो ये श्रेष्ठ योगकारक बनते है| (11) नीच राशि में वक्री शनि श्रेष्ठ और अच्छा फल देते है | (12) लग्न का मालिक सूर्य हो तो जातक क्रोधी लेकिन नेक स्वभाव का होगा | (13) स्त्री की कुंडली में सूर्य तीसरे घर में हो और और शनि छठे घर में हो तो अधिकारी हो या किसी अधिकारी की पत्नी हो | (14) सूर्य नवम भाव में हो तो धन और संतान का सुख बहुत हो | (15) लग्न का स्वामी दुसरे भाव में दुसरे भाव का स्वामी ग्यारहवे भाव में और ग्यारहवे भाव का स्वामी लग्न में हो तो जातक महाधनवान हो राजाके समान किस्मत हो | (16) कुंडली में चन्द्र मंगल की युति दुसरे या तीसरे भाव में हो और राहु पांचवे भाव में तो जातक अधिकारी बने | (17) शुक्र सप्तम भाव में हो तो विवाह के बाद उन्नति हो | (18) छठे और नवम भाव का परिवर्तन बहुत परेशानी देने वाला होता है | (19) दुसरे घर में शनि हो और बुध देखता हो तो जातक को आकस्मिक धन की प्राप्ति होती है | (20) गोचर में शनि पंचम में होकर बहुत कष्ट देने वाले होते है |